Report by: Shubham Date: 19 Aug 2024
आज (सोमवार, 19 अगस्त) रक्षाबंधन पर दोपहर 1.30 बजे तक भद्रा रहेगी। इस कारण राखी बांधने का मुहूर्त 1.30 बजे के बाद ही शुरू होगा। रक्षाबंधन पर भद्रा के अलावा मुहूर्त के लिए चौघड़िया, लग्न या किसी भी तरह का विशेष काल नहीं देखा जाता है।
भद्रा खत्म होने के बाद से सूर्यास्त तक बहनें कभी भी अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं। वैसे तो रात में रक्षाबंधन करने का विधान किसी ग्रंथ में नहीं है, लेकिन किसी वजह से दिन में रक्षाबंधन नहीं मना पा रहे तो सूर्यास्त के बाद भी राखी बांधने की परंपरा है।
भद्रा काल से जुड़ी मान्यताएं.
भद्रा काल किसे कहते हैं?
ज्योतिष में तिथि, वार, ग्रह और नक्षत्रों की वजह से अलग-अलग योग बनते हैं। जैसे राहु काल, अभिजीत मुहूर्त, सर्वार्थसिध्द योग, पुष्य नक्षत्र, भद्रा काल आदि।
ज्योतिष के पांच खास अंग हैं तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इनमें करण के अंगों में भद्रा काल भी है। काल यानी एक विशेष समय।
विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत, जनेऊ, रक्षासूत्र बांधना जैसे शुभ काम भद्रा काल छोड़कर किए जाते हैं, क्योंकि इसे अशुभ मानते हैं।
शनि देव की बहन हैं भद्रा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मद्रा सूर्य छाया की पुत्री और शनि की बहन हैं। भद्रा का स्वभाव वने-बनाए काम को बिगाड़ने का था। मद्रा शुभ कार्मी में बाधा डालती थीं।
भद्रा की वजह से चिंतित सूर्य ने ब्रह्मा जी से मदद मांगी। ब्रह्मा जी ने भद्रा को समझाते हुए कहा या कि अगर कोई व्यक्ति तुम्हारे काल यानी समय में शुम काम करता है ती तुम उसमें बाधा डाल सकती हो, लेकिन जो लोग तुम्हारा काल छोड़कर शुभ काम करेंगे, तुम्हारा सम्मान करेंगे, तुम उनके कामों में बाधा नहीं डालीणी।
इसी कया की वजह से मद्रा के समय को छोड़कर शुभ काम करने की परंपरा चली आ रही है।