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साहित्य संगिनी की ध्रुवनंदा का आगमन

साहित्य संगिनी के प्रथम सत्र के अंतिम अंक ध्रुवनंदा का विमोचन एवं लोकार्पण साहित्य संगिनी पत्रिका मंडल द्वारा शानदार तरीके से किया गया। साहित्य संगिनी के प्रथम सत्र में अपराजिता, अवंतिका, वसुंधरा व ध्रुवनंदा का सफल प्रकाशन एवं वितरण हुआ जिसे पाठकों ने बहुत सराहा। ध्रुवनंदा में हिंदी साहित्य की लगभग सभी विधाओं में रचनाओं को सम्मिलित किया गया है।
‘व्यक्तित्व’ कॉलम में बिहार की मशहूर कहानीकार पुष्पा जामुआर के व्यक्तित्व को प्रकाशित किया गया। पुष्पा जामुआर ने साहित्य संगिनी के बारे में लिखा, “पत्रिका हिंदी साहित्य को समर्पित है यहां एक और अनुभवी लेखको का साथ है , वहीं दूसरी और नव पल्लवित रचनाकारों की प्रतिभाओं को निखारने का प्रयास भी पत्रिका कर रही है। साहित्य संगिनी पत्रिका मंडल के अथक प्रयासों की मैं सराहना करती हूं एवं दुआ करती हूं कि साहित्य संगिनी दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की करें।”
पत्रिका की संस्थापिका रजनी भास्कर ने कहा, “प्रथम सत्र सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सर्वप्रथम मैं ईश्वर का शुक्रिया अदा करती हूं जिसने हमें हिम्मत और हौसला दिया, सही राह दिखाई और मेहनत करने का बल बक्शा ,इसके साथ ही मैं समस्त पत्रिका मंडल का हृदय से आभार व्यक्त करती हूं जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर दिन रात मेहनत की और साहित्य संगिनी को इस मुकाम तक पहुंचाया।”
पत्रिका के मुख्य सचिव श्री मुकेश नाथ ने इस अवसर पर कहा कि साहित्य संगिनी हमारा सपना है जो ईश्वर की कृपा और साथियों के सहयोग से सच हो गया है। आज हमने ध्रुवनंदा के साथ इस सत्र को पूर्ण किया। आगामी सत्र के लिए हमारी अनेकों योजनाएं हैं हिंदी को समर्पित हमारी संस्था निःस्वार्थ भाव से काम कर रही है। साहित्य संगिनी समिति बनाकर साहित्य संगिनी के कार्यक्रमों को ऑनलाइन से ऑफलाइन पर लेकर आना हमारा सर्वोपरि ध्येय है । ध्रुवनंदा के आगमन एवं सत्र के सफलतापूर्वक समापन की मैं आप सबको बधाई देता हूं।
सह संस्थापिका डॉ सुमन शर्मा ने कहा, “साहित्य संगिनी ने अपने हर अंक के साथ तरक्की की है। हर बार संशोधन करके हमने इसके स्वरूप को सुधारा है ।रचनाकारों एवं पाठकों की रुचि के अनुसार करने का प्रयास किया है। बाल अंक बच्चों द्वारा पसंद किया जा रहा जा रहा है। बच्चों में लिखने की रुचि का विकास हो, हमारी ओर से पत्रिका के माध्यम से यथासंभव प्रयास किया जा रहे हैं। ध्रुवनंदा के विमोचन के समय पत्रिका मंडल के सभी सदस्य मौजूद थे।

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