अंताक्षरी के रंगों से सजा साहित्य संगिनी मंच
साहित्य संगिनी एक उभरती हुई संस्था है। आए दिन संस्था द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। इसी क्रम में गत रविवार से मंच पर अंताक्षरी का आयोजन प्रारंभ किया गया। यह कार्यक्रम एक प्रतियोगिता के रूप में जिसकी अवधि एक घंटा रखी गई थी, कार्यक्रम सांय 6:00 बजे से 7:30 बजे तक चला। इस रविवार कार्यक्रम का दूसरा अंक का आयोजन किया गया।प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागियों की चार टीम बनाई गई थी। अवंतिका कृतिका, रोहिणी और रेवती। प्रत्येक टीम में चार-चार सदस्य थे। अंताक्षरी प्रतियोगिता बहुत ही शानदार रही और बड़ा ही रोमांचक मुकाबला हुआ। सभी प्रतिभागियों ने पूरी लगन से गायन किया।
10 अंक के साथ अवंतिका टीम प्रथम स्थान पर रही, 9 अंक के साथ रोहिणी टीम दूसरे स्थान पर एवं 8.5 अंक के साथ कृतिका टीम तीसरे तथा 8 अंक के साथ रेवती टीम चौथे स्थान पर रही।
मुकाबला इतना शानदार था कि समय कब बीत गया पता ही नहीं चला।
अवंतिका टीम में सुमित मानधना जी, राजेंद्र गर्ग रंगरसिया , अरुणा सिंह एवं विजय आनंद थे। प्रतियोगिता ऑनलाइन माध्यम से करवाई गई। साहित्य संगिनी के कार्यकारिणी के सदस्य श्री वीरभद्र त्रिपाठी ने कार्यक्रम का संचालन कुशलता पूर्वक किया।
प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में बड़े उत्साह के साथ भाग लिया और नए पुराने गीतों से मंच पर संगीत के रंग बिखरे। इस अवसर पर साहित्य संगिनी की संस्थापिका रजनी भास्कर में बताया कि साहित्य और संगीत अलग-अलग नहीं है, दोनों एक दूसरे के पूरक है।गीत और गजल संगीत में ढला साहित्य ही तो है। हमारी संस्था हिंदी की सेवा में समर्पित है। उच्च कोटि के साहित्य से जीवन की दशा और दिशा बदल सकती है।अंताक्षरी केवल मनोरंजन का साधन नहीं, आनंद के साथ-साथ साहित्य और संगीत से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करती है।
साहित्य संगिनी के मुख्य सचिव श्री मुकेश नाथ ने कहा कि हमारे साथ नई पीढ़ी के बच्चे भी जुड़े हैं और अनुभवी साहित्यकार और रचनाकार भी। दो पीढ़ियां का अनूठा संगम है साहित्य संगिनी। अंताक्षरी में जो एक बात ध्यान देने योग्य थी कि गाने जो लता जी और रफी साहब ने गाये, उनके रस को नई पीढ़ी पहचाने और अगली पीढ़ी तक लेकर जाए। श्रेष्ठ की कदर होनी चाहिए चाहे वह साहित्य हो या संगीत । प्रतियोगिता की विजेता टीम को समस्त पत्रिका मंडल की ओर से बधाई प्रेषित करता हूं।
इस अवसर पर प्रतिभागियों ने कहा कि साहित्य संगिनी हमें पसंद है। संस्था से प्राप्त प्रशस्ति पत्रों से हमारा मनोबल बढ़ता है। यह एक अच्छी शुरुआत है रविवार को विशेष बनाने की। अच्छी दिमागी कसरत हुई, बहुत अच्छा लगा। हमें रविवार की प्रतीक्षा रहती है।
कार्यक्रम के अंत में प्रशस्ति पत्र वितरण समारोह में कार्यकारिणी के सभी सदस्य मौजूद थे। डॉक्टर सुमन शर्मा (सह संस्थापिका) सोनल राजपूत (सचिव), एकता चतुर्वेदी (संचालिका) कार्यक्रम के संचालक वीरभद्र त्रिपाठी ने विजेताओं को बधाई दी। कार्यक्रम का सुखद समापन हुआ।