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प्रयागराज महाकुंभ मेला में भगदड़ के कारण कैमूर की महिला की मौत, परिजनों ने किया सवाल उठाया

कैमूर की महिला की मौत

प्रयागराज महाकुंभ मेला में भगदड़ के कारण कैमूर की महिला की मौत, परिजनों ने किया सवाल उठाया

Report By: Rupesh Kumar || Date: 05 Feb 2025

कैमूर/भभुआ थाना क्षेत्र के कोरी गांव निवासी उदय प्रताप सिंह की 53 वर्षीय पत्नी सुनैना देवी की मौत प्रयागराज के महाकुंभ मेला में भगदड़ में हो गई। 29 जनवरी को हुई इस दुखद घटना ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। मृतक के पुत्र विष्णु पटेल ने बताया कि उनकी माता महाकुंभ में स्नान करने गई थीं, जहां भगदड़ के कारण उनकी मौत हो गई। हालांकि, काफी समय तक शव की तलाश जारी रही, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण शव बरामद होने में काफी समय लग गया। विष्णु पटेल ने प्रशासन के रवैये पर सवाल उठाए और कहा कि सरकारी अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिससे परिवार को अत्यधिक मानसिक और शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ा।

मृतिका का फोटो

वहीं, कैमूर जिला पार्षद विकास सिंह ने भी इस घटना को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के शासनकाल में महाकुंभ मेला स्थल पर बिहार के श्रद्धालुओं को नाम के बदले ठगा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार के लोग महाकुंभ में धार्मिक स्तर पर अपनी आस्था का पालन करने के लिए जाते हैं, लेकिन यूपी राज्य सरकार इसका राजनीतिक लाभ उठाने का काम कर रही है, जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

कांग्रेस के सदर प्रखंड अध्यक्ष हरीश कुमार, पुष्पराज पटेल, गुड्डू सिंह, अनिल पटेल, कार्यालय सचिव महेंद्र राम, राजीव रंजन पांडे, लियाकत अंसारी, पूर्व मुखिया रामकुमार राम, मुखिया श्यामा कांत अकेला उर्फ हीरा, पूर्व मुखिया अजय सिंह पटेल, जदयू उपाध्यक्ष अजय सिंह, मोरध्वज सिंह, लालजी सिंह, सीताराम सिंह समेत कई सामाजिक और राजनीतिक हस्तियों ने परिवार के शोक में शामिल होकर शोक संवेदना व्यक्त की और दुख की इस घड़ी में परिजनों को सहारा दिया।

परिवार और ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा भगदड़ की घटना को गंभीरता से नहीं लिया गया, जिसके कारण इस प्रकार की घटना घटी। सरकार और प्रशासन से जल्द से जल्द इस मामले में जांच की मांग की गई है। स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई है और परिवार को न्याय दिलाने की अपील की है।

यह घटना न केवल इस परिवार के लिए दुखद है, बल्कि यह समाज में प्रशासनिक लापरवाही और सरकारी नीतियों पर भी सवाल उठाती है। महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में इस प्रकार की घटनाएं बहुत ही अफसोसजनक हैं, जिनका त्वरित समाधान होना चाहिए था।

अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या बिहार राज्य और यूपी राज्य के अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित कर इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए कोई ठोस उपाय किए जाते हैं।

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