
कैमूर: गाड़ी के चक्के में छिपाकर रखे गए रिश्वत के पैसे, सिपाही समेत दो गिरफ्तार
सारांश :
कैमूर जिले के मोहनिया चेकपोस्ट पर शराब के नशे में पकड़े गए कार सवारों से 10,000 रुपये रिश्वत लेने के आरोप में एक सिपाही और होटल कर्मी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। शिकायत पर मद्य निषेध विभाग की जांच में गाड़ी के चक्के में छिपाए पैसे बरामद हुए। आरोपियों ने रिश्वत लेने की बात स्वीकार की।
Report By : Rupesh kumar Dubey (News Era Kaimur) : Date : 15 Feb 2025||
कैमूर जिले के मोहनिया स्थित समेकित चेकपोस्ट पर शराब के नशे में सफर कर रहे कार सवारों से रिश्वत लेने के मामले में एक सिपाही और एक होटल कर्मी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इस घटना ने बिहार में कानून व्यवस्था और मद्य निषेध विभाग की सख्ती पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे सामने आया मामला?
घटना उस समय सामने आई जब वाराणसी से ओडिशा लौट रहे तीन कार सवारों को बिहार बॉर्डर पर रोका गया। चेकपोस्ट पर सघन जांच के दौरान कार से शराब की खुली बोतलें मिलीं। बताया जा रहा है कि कार में सवार यात्री ओडिशा सरकार के एक अधिकारी थे, जो महाकुंभ से स्नान कर लौट रहे थे और शराब के नशे में अपनी गाड़ी में सो रहे थे।
जांच के दौरान चेकपोस्ट पर तैनात सिपाही ने उन्हें छोड़ने के बदले दस हजार रुपये की रिश्वत ली। इस दौरान अधिकारी ने मद्य निषेध विभाग के संयुक्त आयुक्त को फोन कर पूरे मामले की शिकायत कर दी। इसके बाद पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी गई।
कैसे हुई गिरफ्तारी?
मद्य निषेध विभाग के संयुक्त आयुक्त के निर्देश पर कैमूर उत्पाद अधीक्षक संतोष श्रीवास्तव ने पूरे मामले की गहन जांच की। इस दौरान गाड़ी के नीचे चक्के में छिपाकर रखे गए दस हजार रुपये बरामद किए गए।
अधिकारियों के मुताबिक, यह रकम होटल कर्मी सतीश यादव के माध्यम से सिपाही तक पहुंचाई गई थी। जाँच के दौरान सिपाही ने स्वीकार किया कि उसने कार सवारों को छोड़ने के लिए रिश्वत ली थी। शिकायतकर्ता द्वारा एक लाख रुपये मांगने की बात कही गई थी, लेकिन सीएसपी (ग्राहक सेवा केंद्र) से दस हजार रुपये की ही निकासी की गई थी।
गिरफ्तार आरोपी कौन हैं?
गिरफ्तार सिपाही की पहचान भोजपुर जिले के रूद्रनगर निवासी के रूप में हुई है, जो गया जिले से कैमूर समेकित चेकपोस्ट पर तैनाती के लिए भेजा गया था। वहीं, गिरफ्तार होटल कर्मी उत्तर प्रदेश के जमनिया जिले के डेहरिया गांव का रहने वाला सतीश यादव है।
कब और कैसे हुई शिकायत?
मद्य निषेध विभाग के टोल फ्री नंबर पर इस घटना की शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता ने घटना का वीडियो भी भेजा, जिसमें आवाज स्पष्ट रूप से सुनी जा सकती थी। इसके बाद संयुक्त आयुक्त ने कैमूर उत्पाद अधीक्षक को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए।
आगे की कार्रवाई
गिरफ्तार सिपाही और होटल कर्मी के खिलाफ भ्रष्टाचार और मद्य निषेध कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
कैमूर उत्पाद अधीक्षक संतोष श्रीवास्तव ने बताया, “संयुक्त आयुक्त से हमें सूचना मिली कि कैमूर के समेकित जांच चौकी पर एक सिपाही ने किसी व्यक्ति से दस हजार रुपये रिश्वत ली है। जांच में एक सिपाही का नाम सामने आया और उसने स्वीकार भी किया कि उसने रिश्वत ली थी। होटल कर्मी की मदद से पैसे को गाड़ी के चक्के में छिपाया गया था। दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।”
बिहार में मद्य निषेध कानून और भ्रष्टाचार
बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है, लेकिन इसके बावजूद राज्य में शराब की तस्करी और इससे जुड़े भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आते रहते हैं। यह घटना भी यही दर्शाती है कि कानून लागू करने वाले अधिकारी ही कई बार नियमों को ताक पर रखकर निजी फायदे के लिए भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
इस घटना पर कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि रिश्वतखोरी से निपटने के लिए निगरानी विभाग को और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। बिहार में कई बार मद्य निषेध कानून का दुरुपयोग देखा गया है, और इसमें संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार को पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय करने चाहिए।
समाजसेवी संगठनों का कहना है कि जब तक प्रशासन में सुधार नहीं होगा, तब तक शराबबंदी कानून प्रभावी नहीं हो सकता। साथ ही, आम जनता को भी इस प्रकार की घटनाओं की तुरंत रिपोर्ट करनी चाहिए ताकि दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई हो सके।
कैमूर जिले में सामने आया यह मामला भ्रष्टाचार और बिहार के मद्य निषेध कानून की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल उठाता है। हालांकि, इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी सिपाही और होटल कर्मी को जेल भेज दिया गया है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या ऐसे मामलों को रोकने के लिए कोई सख्त उपाय अपनाए जाते हैं या नहीं।