बिहार पुलिस की बर्बरता: मोहनिया में युवक की पिटाई का वीडियो वायरल, विपक्ष ने सरकार को घेरा

बिहार पुलिस की बर्बरता: मोहनिया में युवक की पिटाई का वीडियो वायरल, विपक्ष ने सरकार को घेरा
Report By: Rupesh Dubey
यह घटना बिहार पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाती है, जहां एक युवक की बर्बर पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इस वीडियो में एक पुलिस इंस्पेक्टर और दो होमगार्ड जवानों द्वारा युवक की बेरहमी से पिटाई की जा रही है, जो न केवल पुलिस प्रशासन के खिलाफ चिंता उत्पन्न करता है, बल्कि आम जनता के अधिकारों और सुरक्षा के मुद्दे पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है।
घटना का विवरण:
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक युवक बीच सड़क पर बैठा है और हाथ जोड़कर पुलिस अधिकारियों से माफी मांगता है, फिर भी उसे बेरहमी से लाठी से पीटा जा रहा है। युवक की हालत इस दौरान इतनी बिगड़ जाती है कि वह बार-बार गाड़ी से बाहर उतरने की कोशिश करता है, लेकिन पुलिस अधिकारी उसे गाड़ी में ठूंसने का प्रयास करते हैं। इस दौरान उसका बाल पकड़ कर और लाठी से मार कर उसे गाड़ी में ठूसने की कोशिश की जाती है। वीडियो में पीछे से एक व्यक्ति यह दावा करता है कि युवक ने पुलिस को पैसे नहीं दिए थे, जिस वजह से पुलिस अधिकारी गुस्से में आ गए और उसकी पिटाई की।
राजद का आरोप:
इस वीडियो के वायरल होने के बाद, विपक्षी पार्टी राजद (राष्ट्रीय जनता दल) ने बिहार सरकार और विशेष रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना की है। राजद का कहना है कि पुलिस का यह अत्याचार बिहार में भाजपा और नीतीश कुमार के शासन में हो रहा है। पार्टी ने सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो शेयर करते हुए टिप्पणी की कि इस राज्य में भ्रष्टाचार और दबाव का माहौल बन गया है, जहां जनता से घूस लिया जा रहा है और अगर किसी ने घूस देने से मना किया, तो उसे बेरहमी से पीटा जाता है।
राजद का कहना है कि पुलिस को घूस लेना और भ्रष्टाचार में लिप्त होना एक आम बात बन गई है, और इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। इसके अलावा, राजद ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी अपने उच्च अधिकारियों के दबाव में आकर ऐसा व्यवहार करते हैं, क्योंकि उन पर भी “डबल प्रेशर” होता है, यानी कि उन्हें अपनी कार्यशैली को सही साबित करने के लिए भ्रष्टाचार से पैसे इकट्ठे करने का दबाव होता है।
पुलिस प्रशासन का जवाब:
इस घटना के बाद कैमूर पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मोहनिया थाना के एएसआई प्रभात कुमार को निलंबित कर दिया। इसके अलावा, दोनों होमगार्ड जवानों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई, और डीएम को पत्र लिखकर उन्हें कर्तव्य से वंचित करने का प्रस्ताव भेजा गया। इस मामले में कैमूर एसपी हरिमोहन शुक्ला ने यह स्वीकार किया कि वीडियो में दिख रहा पुलिस अधिकारी एएसआई प्रभात कुमार ही है, लेकिन यह भी कहा कि पिटाई के कारण के बारे में अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है। पुलिस ने यह भी कहा कि वे इस मामले की पूरी जांच कर रहे हैं।
समाज और राजनीति पर प्रभाव:
इस घटना ने न केवल बिहार पुलिस की कार्यशैली को उजागर किया, बल्कि बिहार में बढ़ते भ्रष्टाचार और पुलिसकर्मियों की बेलगाम शक्ति को भी सामने लाया है। बिहार में जहां कानून व्यवस्था को लेकर पहले से ही सवाल उठाए जाते रहे हैं, इस तरह की घटनाएं राज्य सरकार के लिए और भी मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल पुलिस विभाग के भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं, बल्कि आम जनता के मन में कानून और व्यवस्था के प्रति अविश्वास भी पैदा करती हैं।
मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया:
वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर इस घटना पर तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। लोग इस घटना को लेकर बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन को आड़े हाथों ले रहे हैं। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस वीडियो को साझा किया और बिहार पुलिस के इस बर्बरता को लेकर गुस्से का इजहार किया। एक तरफ जहां लोग इस घटना को लेकर पुलिस प्रशासन की निंदा कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि इस घटना की जांच क्या सही तरीके से होगी और क्या दोषियों को सजा मिलेगी।
बिहार सरकार पर दबाव:
इस वीडियो के वायरल होने के बाद बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ गया है। विपक्षी दल राजद ने इस घटना को लेकर नीतीश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और इसे बिहार में बढ़ते पुलिस अत्याचार का उदाहरण बताया है। हालांकि सरकार ने इस मामले में तत्परता दिखाई है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह के घटनाओं का वास्तव में कोई ठोस और स्थायी हल निकाला जाएगा या फिर यह सिर्फ कुछ दिनों के लिए सुर्खियों में रहेगा?
यह घटना बिहार पुलिस की कार्यप्रणाली, भ्रष्टाचार, और पुलिस अधिकारियों की बर्बरता को उजागर करती है। अगर इस तरह के मामलों की सही तरीके से जांच और उचित कार्रवाई नहीं की जाती है, तो इससे जनता का कानून व्यवस्था पर विश्वास और भी कमजोर हो सकता है। इस मामले में बिहार सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और पुलिस विभाग में सुधार की दिशा में कदम उठाए जाएं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।