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पहलगाम में कायराना आतंकी हमला: बिहार के आईबी अधिकारी मनीष रंजन की पत्नी-बच्चों के सामने निर्मम हत्या

पहलगाम में कायराना आतंकी हमला: बिहार के आईबी अधिकारी मनीष रंजन की पत्नी-बच्चों के सामने निर्मम हत्या

Report By: Rupesh Kumar Dubey

श्रीनगर/रोहतास।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार की दोपहर आतंकियों ने जो खूनी खेल खेला, उसने पूरे देश को दहला कर रख दिया। सेना की वर्दी पहनकर आए आतंकवादियों ने पर्यटन स्थल पर अचानक हमला बोल दिया, जिसमें अब तक 26 से अधिक लोगों की मौत और 20 से अधिक लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है। मरने वालों में ज्यादातर पर्यटक हैं जो छुट्टियां मनाने कश्मीर पहुंचे थे।

इस हमले में बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आईबी अधिकारी मनीष रंजन की निर्मम हत्या कर दी गई। सबसे दुखद और पीड़ादायक तथ्य यह है कि आतंकियों ने मनीष रंजन को उनकी पत्नी और दो मासूम बच्चों के सामने ही गोली मार दी

आतंकियों ने पहले पूछा नाम, फिर गोली मार दी

आईबी अधिकारी मनीष रंजन छुट्टियों के दौरान लीव ट्रैवल कंसेशन (LTC) के तहत अपने परिवार संग पहलगाम आए थे। वे भारतीय खुफिया विभाग के मंत्रालयिक सेवा खंड में कार्यरत थे और पिछले दो वर्षों से हैदराबाद में तैनात थे। उनके परिवार ने कश्मीर की वादियों में कुछ सुकून के पल बिताने का सपना देखा था, लेकिन आतंकियों ने यह सपना एक भीषण दुःस्वप्न में बदल दिया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, आतंकियों ने पहले मनीष रंजन से उनका नाम पूछा, फिर तुरंत उन्हें गोली मार दी। यह पूरी घटना उनकी पत्नी और बच्चों के सामने हुई। हालांकि उनकी पत्नी और दोनों बच्चे हमले में बच गए, लेकिन वे अब गहरे सदमे में हैं।

सेना की वर्दी पहनकर आए थे आतंकी

यह हमला बेहद सुनियोजित और धोखे से भरा था। आतंकियों ने सेना की वर्दी पहन रखी थी, जिससे न सिर्फ आम पर्यटक बल्कि स्थानीय लोग भी भ्रमित हो गए। आतंकी टूरिस्ट स्पॉट्स पर घूमते रहे और जैसे ही मौका मिला, उन्होंने टट्टू की सवारी कर रहे, पिकनिक मना रहे और होटलों के बाहर खड़े पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी।

कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावर लोगों से उनका धर्म पूछते थे। जो मुसलमान होते उनसे कलमा पढ़ने को कहा जाता और जो असमर्थ रहते, उन्हें मौके पर ही गोली मार दी जाती। इस भयावह हमले में 2 विदेशी नागरिकों और कई स्थानीय लोगों की भी मौत हुई है।

लश्कर-ए-तैयबा और TRF ने ली जिम्मेदारी

इस आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और इसके सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। TRF कश्मीर घाटी में पिछले कुछ समय से आतंकी घटनाओं में सक्रिय है और बार-बार पर्यटकों और गैर-स्थानीय नागरिकों को निशाना बना रहा है।

यह हमला भारत की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को सीधी चुनौती है और दर्शाता है कि कश्मीर में आतंक अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।

गृह मंत्री पहुंचे श्रीनगर, पीएम मोदी ने विदेश दौरा छोड़ा

इस हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तुरंत श्रीनगर पहुंचे और वहां सुरक्षा अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। उन्होंने सभी सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिए हैं कि आतंकियों की पहचान कर उन्हें जल्द से जल्द ढूंढकर नेस्तनाबूद किया जाए।

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का आधिकारिक दौरा बीच में ही छोड़कर भारत लौटने का निर्णय लिया और दिल्ली पहुंचकर कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई। पीएम मोदी ने इस हमले को ‘कायरता की चरम सीमा’ बताया और कहा कि “इस बर्बरता का करारा जवाब दिया जाएगा।”


रोहतास में पसरा मातम, मनीष रंजन की शहादत पर शोक की लहर

बिहार के रोहतास जिले में जब मनीष रंजन की शहादत की खबर पहुंची तो पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। मनीष एक होनहार और समर्पित अधिकारी के रूप में जाने जाते थे। उनके पार्थिव शरीर को सेना के विशेष विमान से पटना लाया जा रहा है, जहां से उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा।

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। उनके पिता ने कहा,

“मनीष ने देश के लिए बलिदान दिया है, लेकिन आतंकियों ने जो किया, वह मानवता को शर्मसार करता है। हम चाहते हैं कि सरकार इन आतंकियों को जल्द से जल्द सजा दे।”


राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

घटना के बाद देशभर से राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। विपक्ष ने केंद्र सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बार-बार कश्मीर में पर्यटकों पर हो रहे हमले चिंता का विषय हैं और सुरक्षा व्यवस्था की विफलता को दर्शाते हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया:

“पहलगाम में हुआ हमला एक बार फिर दिखाता है कि हमारी सुरक्षा नीति को मजबूत करने की आवश्यकता है। शहीद मनीष रंजन और अन्य मृतकों को श्रद्धांजलि।”


देश ने खोया एक सच्चा सपूत

पहलगाम आतंकी हमला एक बार फिर देश के सामने यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर कब तक निर्दोष नागरिक आतंक का शिकार बनते रहेंगे? आईबी अधिकारी मनीष रंजन की शहादत देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने परिवार के सामने जान गंवाकर यह साबित कर दिया कि देशभक्ति केवल सीमाओं पर नहीं, बल्कि हर उस मोर्चे पर होती है जहां भारत की एकता और अखंडता को चुनौती दी जाती है।

यह समय केवल शोक और निंदा का नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई का है। देश मांग करता है कि इस हमले में शामिल सभी आतंकियों को या तो जिंदा पकड़ा जाए या फिर उनका वही हश्र हो जो उन्होंने मासूमों का किया।

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