औरंगाबाद में उत्पाद विभाग की टीम पर बारातियों का जानलेवा हमला, दारोगा सहित चार पुलिसकर्मी घायल

औरंगाबाद में उत्पाद विभाग की टीम पर बारातियों का जानलेवा हमला, दारोगा सहित चार पुलिसकर्मी घायल
Report By: Chitranjan Kumar
औरंगाबाद, बिहार – राज्य में कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाली घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला औरंगाबाद जिले के टंडवा थाना क्षेत्र के पिछुलिया गांव से सामने आया है, जहां उत्पाद विभाग की टीम पर एक बारात में शामिल लोगों ने अचानक जानलेवा हमला कर दिया। इस घटना में एक दारोगा समेत चार पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है, वहीं पुलिस ने आरोपियों की तलाश में छापेमारी तेज कर दी है।
घटना का विवरण: गाड़ी जांच रही टीम पर अचानक हमला
घटना मंगलवार की रात की बताई जा रही है, जब उत्पाद विभाग की एक टीम गुप्त सूचना के आधार पर शराब के खिलाफ अभियान चला रही थी। अभियान के तहत टीम पिछुलिया गांव के पास वाहनों की जांच कर रही थी। उसी समय बिहार-झारखंड की सीमा से सटे इस गांव से गुजर रही बारातियों से भरी एक गाड़ी को जांच के लिए रोका गया। बताया गया कि चालक को रुकने का इशारा किया गया, लेकिन उसने वाहन नहीं रोका।
उत्पाद विभाग की टीम ने तत्परता दिखाते हुए वाहन का पीछा कर उसे कुछ दूरी पर पकड़ लिया। लेकिन इस बीच बारात में शामिल अन्य दो वाहन भी मौके पर पहुंच गए और वहां मौजूद बारातियों ने अचानक उत्पाद विभाग की टीम पर हमला कर दिया। टीम पर लाठी-डंडों से हमला किया गया, जिससे अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
घायल हुए पुलिसकर्मियों की पहचान
इस हमले में उत्पाद विभाग के चार कर्मी घायल हुए हैं, जिनमें एक दारोगा और तीन सिपाही शामिल हैं। घायलों की पहचान निम्न रूप में हुई है:
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विनोद कुमार यादव (38) – दारोगा
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वरुण कुमार (37) – सिपाही
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सुमंत कुमार (38) – सिपाही
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धर्मेंद्र कुमार (36) – सिपाही
हमले में घायल सभी पुलिसकर्मियों को पहले इलाज के लिए कुटुंबा रेफरल अस्पताल लाया गया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद हालत गंभीर होने पर उन्हें औरंगाबाद सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया।
हमलावर फरार, पुलिस खाली हाथ
हमले के बाद बारातियों के वाहन मौके से फरार हो गए। घटना की सूचना मिलते ही टंडवा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। हालांकि, समाचार लिखे जाने तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। घटना स्थल के आसपास के इलाकों में पुलिस द्वारा छापेमारी की जा रही है, लेकिन अभी तक हमलावरों का कोई सुराग नहीं मिल सका है।
अधिकारियों की चुप्पी और लापरवाही
घटना के बाद जब मीडिया द्वारा इस संबंध में उत्पाद अधीक्षक अनिल कुमार आजाद से जानकारी ली गई, तो उन्होंने बताया कि वे छुट्टी पर हैं और उन्हें इस घटना की कोई जानकारी नहीं है। अधीक्षक की यह प्रतिक्रिया न केवल आश्चर्यजनक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि विभागीय समन्वय और सूचना तंत्र में किस हद तक कमी है।
इस लापरवाही ने घटना के बाद लोगों में प्रशासनिक तंत्र को लेकर गहरी निराशा पैदा कर दी है। एक ओर जहां पुलिस कर्मी जान जोखिम में डाल कर गश्ती और जांच कर रहे हैं, वहीं वरीय अधिकारी घटना की जानकारी से ही अनभिज्ञ नजर आ रहे हैं।
शराब माफियाओं की बढ़ती हिम्मत
बिहार में शराबबंदी के बाद शराब तस्करों और माफियाओं के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। ऐसे में जब उत्पाद विभाग की टीम बारातियों के भेष में चल रही शराब तस्करी पर शिकंजा कसने की कोशिश करती है, तो उन्हें ऐसे हमलों का सामना करना पड़ता है।
जानकारों का मानना है कि यह घटना भी शराब तस्करी से जुड़ी हो सकती है, जिसमें बारात के नाम पर अवैध शराब की ढुलाई की जा रही थी। ऐसे में जब वाहन की जांच शुरू हुई, तो पकड़े जाने के डर से हमलावरों ने टीम पर हमला कर दिया।
स्थानीय प्रशासन पर उठ रहे सवाल
इस हमले ने एक बार फिर से बिहार में पुलिस व्यवस्था की नाकामी को उजागर किया है। यह कोई पहली घटना नहीं है जब पुलिस या उत्पाद विभाग की टीम पर हमला हुआ है। इससे पहले भी राज्य के विभिन्न हिस्सों में शराब माफियाओं और तस्करों द्वारा पुलिस पर हमले किए जा चुके हैं।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक पुलिसकर्मी बिना पर्याप्त सुरक्षा के ऐसे अभियानों में भेजे जाते रहेंगे? क्या सरकार और प्रशासन ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लेकर ठोस रणनीति बनाएंगे, या फिर हर बार की तरह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
घटना के बाद का माहौल और आगे की कार्रवाई
घटना के बाद पिछुलिया और आसपास के इलाके में दहशत का माहौल है। आम नागरिकों में भय है कि यदि पुलिस पर हमला हो सकता है, तो उनकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हमलावरों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग की जा रही है।
टंडवा थाना प्रभारी ने कहा है कि इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज की जा रही है और जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस अधीक्षक अंबरीश राहुल के निर्देश पर विशेष टीम का गठन कर पूरे मामले की निगरानी की जा रही है।
यह घटना एक बार फिर इस सवाल को खड़ा करती है कि क्या बिहार में पुलिसकर्मी सुरक्षित हैं? राज्य में शराबबंदी को लागू कराने वाली टीमों को अक्सर ऐसे हमलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन हर बार कार्रवाई की जगह अधिकारियों की अनभिज्ञता और लापरवाही ही सामने आती है। यह स्थिति न केवल कानून व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा प्रश्नचिह्न बन चुकी है।
बिहार सरकार को चाहिए कि वह ऐसे मामलों को गंभीरता से लेकर दोषियों को कड़ी सजा दिलवाए और पुलिसकर्मियों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त इंतजाम करे, ताकि वे निर्भय होकर अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।