वीरता का सम्मान: फिरोजपुर बॉर्डर से लौटे भारतीय सेना के जवान सौरभ गिरि का भव्य स्वागत
पटना न्यूज़

वीरता का सम्मान: फिरोजपुर बॉर्डर से लौटे भारतीय सेना के जवान सौरभ गिरि का भव्य स्वागत
सारांश :
फिरोजपुर बॉर्डर से ड्यूटी पूरी कर लौटे भारतीय सेना के जवान सौरभ गिरि का मुरी स्टेशन पर भव्य स्वागत हुआ। भारत माता की जय के नारों के बीच फूल-मालाओं से उनका सम्मान किया गया। ऑपरेशन सिंदूर में वीरता दिखाने वाले सौरभ पर गांववासियों को गर्व है।
Report By : Rajnikant Giri (News Era), Patna || Date : 21 May 2025 ||
भूमिका: जब वीरता लौटे घर, तो स्वागत में उमड़े लोग
देशभक्ति सिर्फ सीमा पर खड़े होकर दुश्मन से लोहा लेने तक सीमित नहीं होती, बल्कि जब वही वीर सपूत अपने घर लौटता है तो पूरा गांव, समाज और देश उसकी एक झलक पाने और सम्मान देने उमड़ पड़ता है। कुछ ऐसी ही दृश्य देखने को मिला बिहार की राजधानी पटना के मुरी रेलवे स्टेशन पर, जहां भारतीय सेना के जवान और तीरंदाज खिलाड़ी सौरभ कुमार गिरि का भव्य स्वागत किया गया।
फिरोजपुर बॉर्डर पर “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान तैनात रहे सौरभ गिरि हाल ही में अपने निर्धारित अवकाश पर घर लौटे हैं। उनके आगमन पर गांव, पंचायत और स्थानीय समाज के लोगों ने जिस गर्मजोशी से उनका स्वागत किया, उसने यह साबित कर दिया कि देश आज भी अपने जवानों के प्रति पूर्ण आस्था और सम्मान रखता है।
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कौन हैं सौरभ गिरि?
सौरभ गिरि भारतीय सेना में तैनात एक वीर जवान हैं। वे पटना जिले के अलावलपुर गांव के निवासी हैं और वरिष्ठ पत्रकार विष्णु गिरि के पुत्र हैं। सौरभ सेना में होने के साथ-साथ एक प्रतिभाशाली तीरंदाजी खिलाड़ी भी हैं। उनकी तैनाती भारत–पाक सीमा पर पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में की गई थी, जहां वे “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत महत्वपूर्ण ड्यूटी निभा रहे थे।
ऑपरेशन सिंदूर एक अहम सैन्य अभियान था जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान की उकसाने वाली हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दिया। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय जवानों ने अत्यंत साहस, वीरता और संयम का प्रदर्शन किया, जिससे ना सिर्फ पाकिस्तान को करारा जवाब मिला, बल्कि भारत की सामरिक क्षमता का भी परिचय विश्व पटल पर हुआ।
स्वागत समारोह: जब स्टेशन गूंज उठा ‘भारत माता की जय’ से
जैसे ही सौरभ गिरि ट्रेन से मुरी रेलवे स्टेशन पर उतरे, ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ और ‘जय हिन्द’ जैसे नारों से पूरा स्टेशन गूंज उठा। वहां मौजूद हर व्यक्ति के चेहरे पर गौरव और गर्व साफ़ झलक रहा था।
स्थानीय लोगों ने फूलों की मालाएं, मिठाइयों और जयघोषों के साथ उनका स्वागत किया। उनकी अगवानी के लिए बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक स्टेशन पर उपस्थित थे। यह नजारा दर्शाता है कि भारतीय सेना के जवानों के लिए देशवासियों का सम्मान शब्दों से कहीं अधिक गहराई लिए हुए है।
वक्ताओं के शब्दों में भावनाएं: ‘हमें सेना पर गर्व है’
स्वागत कार्यक्रम में मौजूद वक्ताओं ने अपने उद्बोधनों में सौरभ गिरि के योगदान की सराहना करते हुए कहा—
“ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय जवानों ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है। यह सिर्फ सैन्य विजय नहीं है, यह राष्ट्र की प्रतिष्ठा की विजय है। हम अपने बेटे सौरभ पर गर्व करते हैं।”
एक स्थानीय व्यवसायी नेता ने कहा—
“जिस राष्ट्र के युवा सौरभ जैसे हों, उस राष्ट्र को कोई हरा नहीं सकता। आज हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे गांव का बेटा सीमा की रक्षा कर रहा है।”
सम्मान समारोह में रही ये प्रमुख हस्तियां मौजूद
इस भव्य स्वागत समारोह में कई सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तियां उपस्थित रहीं। इनमें प्रमुख नाम हैं:
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लुपुंग पंचायत की मुखिया सीमा कुमारी
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भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र प्रसाद साय
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अंबुज रजक, प्रकाश अग्रवाल, गोपाल केडिया (व्यवसायी संघ)
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दुर्गा प्रसाद अग्रवाल, गणेश साहू, हरिहर महतो
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आरपीएफ थाना प्रभारी संजीव सिंह, जीआरपी प्रभारी संतोष सिंह
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पतंजलि योग समिति के सुशोभन लाहा, के के महतो
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भाजपा युवा नेता रजनीकांत गिरि, राजेंद्र प्रसाद महतो
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अनिल कुमार साव, निशांत साहू, ब्रजेश महतो
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हर्ष शर्मा, आकाश, और अन्य देशभक्त स्थानीय नागरिक
सभी ने सौरभ गिरि को सम्मानित करते हुए राष्ट्र सेवा में उनके योगदान की सराहना की।
सौरभ गिरि का संदेश: “सेना में रहना गर्व की बात”
अपने स्वागत से भावुक हुए सौरभ गिरि ने कहा—
“मैंने हमेशा यही सपना देखा था कि मैं देश की सेवा करूं। आज जब मैं लोगों के इस सम्मान को देखता हूं, तो मेरी मेहनत और कुर्बानी सार्थक लगती है। सेना में रहना मेरे लिए सिर्फ नौकरी नहीं, यह मेरी पहचान और धर्म है।”
उन्होंने युवाओं को देशभक्ति, अनुशासन और सेवा की भावना से जुड़ने का संदेश दिया और कहा कि—
“देश की सेवा करने का सबसे बड़ा मंच सेना है। अगर आपमें जज्बा है, तो इस राह को जरूर चुनिए।”
परिवार की प्रतिक्रिया: बेटा नहीं, पूरे गांव का गौरव बना
सौरभ के पिता, वरिष्ठ पत्रकार विष्णु गिरि ने भावुक स्वर में कहा—
“बचपन से ही सौरभ देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत था। आज जब वह भारतीय सेना में रहकर सीमा की रक्षा कर रहा है, तो यह सिर्फ हमारे परिवार के लिए नहीं, पूरे गांव के लिए गर्व की बात है।”
उनकी माता, जो स्वयं एक शिक्षिका हैं, ने कहा—
“हर मां चाहती है कि उसका बेटा नाम कमाए, लेकिन जब वह देश के लिए कुछ करता है, तो यह गौरव कई गुना बढ़ जाता है।”
स्थानीय लोगों की राय: सौरभ जैसा बेटा हर गांव को मिले
स्थानीय नागरिकों का कहना था कि—
“देश की रक्षा करने वाला सच्चा हीरो होता है। आज सौरभ गिरि ने अपने गांव और समाज का सिर ऊँचा कर दिया है।”
एक बुजुर्ग महिला ने कहा—
“हमने तो टीवी पर ही सेना को देखा था, आज हमारे गांव का बेटा सेना में है – इससे बड़ी बात क्या हो सकती है?”
क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’? एक संक्षिप्त जानकारी
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान की ओर से बढ़ती घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियों के विरुद्ध शुरू किया गया एक सैन्य अभियान है। इस अभियान के तहत:
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सीमा सुरक्षा को मजबूत किया गया
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आतंकवादियों के लॉन्च पैड को ध्वस्त किया गया
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दुश्मन की गतिविधियों का मुँहतोड़ जवाब दिया गया
इस अभियान में सौरभ गिरि जैसे जवानों ने अहम् भूमिका निभाई।
देशभक्ति का उत्सव, जो हर दिल को छू गया
सौरभ गिरि का स्वागत केवल एक कार्यक्रम नहीं था, यह उस भावना का उत्सव था जिसे हम “राष्ट्रप्रेम” कहते हैं। यह वह क्षण था जब पूरा समाज एक साथ खड़ा होकर अपने सपूत को श्रद्धा, सम्मान और गर्व के साथ नमन कर रहा था।
ऐसे आयोजन न सिर्फ देश की सेवा कर रहे जवानों को सम्मान देते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को यह प्रेरणा भी देते हैं कि देश सबसे पहले आता है।