“औरंगाबाद में ब्राह्मण विरोधी पोस्टर, गांव में आक्रोश”
औरंगाबाद न्यूज़

“औरंगाबाद में ब्राह्मण विरोधी पोस्टर, गांव में आक्रोश”
सारांश :
औरंगाबाद के जम्होर थाना क्षेत्र के महथू गांव में “ब्राह्मणों को देश से निकालो” लिखे पोस्टर मिलने से गांव में आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों ने इसे समाज को तोड़ने की साजिश बताया और थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
हाईलाइट :
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औरंगाबाद के महथू गांव में बिजली के खंभों पर भड़काऊ जातीय पोस्टर चिपकाए गए।
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“ब्राह्मणों को देश से निकालो” लिखे पोस्टर से ग्रामीणों में गुस्सा और तनाव का माहौल।
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पुलिस ने जांच शुरू की, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया।
Report By : Chitranjan Kumar (News Era) || Date : 31 May 2025 ||
औरंगाबाद, बिहार –औरंगाबाद जिले के जम्होर थाना अंतर्गत महथू गांव में शनिवार की सुबह एक ऐसा मामला सामने आया जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। गांव के मुख्य मार्ग और गलियों में लगे बिजली के खंभों पर “ब्राह्मणों को देश से निकालो” जैसे भड़काऊ और जाति विशेष को निशाना बनाते पोस्टर चिपके मिले। इस घटना से गांव में भारी आक्रोश फैल गया है। गांववासियों ने इसे एक साजिश करार देते हुए प्रशासन से अविलंब जांच और कार्रवाई की मांग की है।
गांव में छाया तनाव का माहौल
महथू गांव के ग्रामीणों की सुबह की शुरुआत एक भयानक दृश्य से हुई। बिजली के खंभों और दीवारों पर लगे इन आपत्तिजनक पोस्टरों ने सबको चौंका दिया। पोस्टर पर “ब्राह्मणों को देश से निकालो” के साथ नीचे ‘निवेदक – डॉ. कृष्णा, जय भीम’ लिखा हुआ था, जिससे यह स्पष्ट हो रहा था कि यह कार्य किसी योजनाबद्ध तरीके से किया गया है।
इस घटना की खबर फैलते ही गांव में तनाव का माहौल बन गया। ग्रामीणों का गुस्सा उफान पर था, लेकिन उन्होंने पूरी समझदारी दिखाते हुए सीधे जम्होर थाना को इसकी सूचना दी।
ग्रामीणों ने जताया रोष, मांगी सख्त कार्रवाई
गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से थाने पहुंचकर विरोध दर्ज कराया। ग्रामीणों में प्रमुख रूप से छोटू चौबे, आनंद विश्वकर्मा, शिवपूजन दूबे, पिंटू तिवारी, मुन्ना तिवारी, पप्पू चौबे, सुनील पांडेय, यमुना सिंह, रामविलास यादव, छठन पासवान, जितेंद्र कुमार, महेंद्र शर्मा समेत अन्य लोगों ने कहा कि—
“हमारे गांव में कभी भी जातीय संघर्ष नहीं हुआ है। सभी जातियों के लोग आपसी सौहार्द और भाईचारे से रहते हैं। ये पोस्टर किसी बाहरी तत्व द्वारा गांव का माहौल बिगाड़ने की साजिश है।”
ग्रामीणों ने पुलिस से मांग की है कि ऐसे समाज विरोधी तत्वों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई इस तरह की हरकत करने की हिम्मत न करे।
पुलिस प्रशासन हरकत में
घटना की सूचना मिलते ही जम्होर थानाध्यक्ष राजकिशोर प्रसाद दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने पूरे गांव का निरीक्षण किया और पोस्टर को जब्त कर जांच के लिए भेजा। थानाध्यक्ष ने आश्वस्त किया कि—
“यह गंभीर मामला है। जातीय सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की गई है। इसमें जो भी दोषी होगा, उसे किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। पूरे मामले की जांच की जा रही है।”
पुलिस इस घटना की जांच अब साइबर सेल और खुफिया विभाग की मदद से भी कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये पोस्टर किसने छपवाए और किस उद्देश्य से गांव में लगाए गए।
सामाजिक संगठनों ने भी जताई नाराजगी
इस घटना पर स्थानीय सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जातीय विद्वेष फैलाना संविधान और सामाजिक तानेबाने के खिलाफ है। यदि इस प्रकार की घटनाओं को समय रहते नहीं रोका गया तो यह समाज को तोड़ने का कार्य करेगा।
क्या है कानून की धाराएं?
इस तरह के भड़काऊ पोस्टर लगाना भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। खासकर धारा 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना) और धारा 505(2) (समूहों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य को बढ़ावा देने वाले बयान) इसके अंतर्गत आती हैं। इन धाराओं में सजा का प्रावधान है और यह गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आता है।
स्थानीय प्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया
गांव के वार्ड सदस्य और पंचायत प्रतिनिधियों ने भी घटना की निंदा की है। उनका कहना है कि—
“हम किसी भी कीमत पर गांव का सौहार्द बिगड़ने नहीं देंगे। प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं और जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी होनी चाहिए।”
महथू गांव की घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि आज भी देश के कुछ हिस्सों में जातीय सौहार्द को बिगाड़ने की साजिशें की जाती हैं। हालांकि, यहां की जनता ने परिपक्वता दिखाते हुए कानून का सहारा लिया और खुद कोई अनियंत्रित कदम नहीं उठाया। अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह दोषियों को जल्द से जल्द पहचान कर कानूनी सजा दिलवाए और गांव में शांति व सौहार्द का माहौल फिर से बहाल हो।