“गोपालपुर से बदलाव की हुंकार: माले का छठवां सम्मेलन संपन्न”
पटना न्यूज़

“गोपालपुर से बदलाव की हुंकार: माले का छठवां सम्मेलन संपन्न”
Report By : Bipin Kumar (News Era) || Date : 01 June 2025 ||
पटना (1 जून 2025): पटना जिला अंतर्गत संपतचक प्रखंड के गोपालपुर पंचायत स्थित हंडेर सामुदायिक भवन में आज भाकपा माले (CPIML) की छठवीं लोकल कमेटी का सम्मेलन ऐतिहासिक जोश और संकल्प के साथ संपन्न हुआ। दिवंगत कॉमरेड मिंकु देवी, रामाधार ठाकुर, जोगिंदर प्रसाद, झूलन मांझी, नकछेदी मांझी और गुलसरोवर पंडित की स्मृति में आयोजित इस सम्मेलन को एक जनप्रतिरोध की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें “संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ, भाकपा माले को मजबूत करो” और “बदलाव की हुंकार – बदलो बिहार, बदलो सरकार” जैसे नारों ने माहौल को आंदोलित कर दिया।
सम्मेलन की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
यह सम्मेलन ऐसे समय पर हुआ जब देश में लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले, बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, स्मार्ट मीटर के जरिए गरीबों के आर्थिक दोहन और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जनाक्रोश अपने चरम पर है। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था – जनता को संगठित कर फासीवादी ताकतों और सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ संघर्ष को धार देना तथा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एकजुट तैयारी करना।
सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख नेता और कार्यकर्ता
इस ऐतिहासिक सम्मेलन में सुधीर पासवान, चंदेश्वर मांझी, तपेश्वर मांझी, संजीवन मांझी, गनौर मांझी, जोगिंदर मांझी, सुरेश दास, इंदु पासवान, कपिल मांझी, भूषण मांझी सहित दर्जनों जनपक्षधर कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन की अध्यक्षता रामावतार दास (प्रखंड कमेटी सदस्य) ने की जबकि मुख्य अतिथि के रूप में भाकपा माले के प्रखंड सचिव सत्यानंद कुमार उपस्थित रहे। पूरे सम्मेलन के दौरान स्थानीय ग्रामीणों और मजदूरों की भी बड़ी भागीदारी रही, जिसने इसे एक जनसम्मेलन का रूप दे दिया।
केंद्र सरकार पर तीखा हमला
सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि –
“देश में फासीवाद और सांप्रदायिकता का ज़हर घोला जा रहा है। रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य, गैस, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं को आम जनता से छीना जा रहा है। स्मार्ट मीटर जैसे माध्यमों से गरीबों की कमाई पर डाका डाला जा रहा है। वहीं दूसरी ओर कश्मीर से लेकर पुलवामा तक आतंकी घटनाएं हो रही हैं लेकिन सरकार देश की सुरक्षा से ज़्यादा अपनी सत्ता की राजनीति में व्यस्त है।”
कार्यकर्ताओं ने कहा कि देश को बांटने वाली ताकतें आम जनता को हिन्दू-मुस्लिम, जात-पात में उलझाकर असली मुद्दों से भटका रही हैं। लेकिन बिहार की जनता अब जाग चुकी है और इस बार मोदी सरकार को जवाब देने के लिए तैयार है।
दलित नेताओं से किया विशेष आह्वान
सम्मेलन में दलित नेताओं जैसे चिराग पासवान और जीतन राम मांझी से अपील की गई कि वे भाजपा जैसी सांप्रदायिक और जनविरोधी पार्टी से दूरी बनाएं। वक्ताओं ने कहा कि –
“74 आंदोलन के वारिस नीतीश कुमार को भी भाजपा की सांप्रदायिक साजिशों से खुद को अलग करना चाहिए और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सच्चे विपक्ष का साथ देना चाहिए। अगर बिहार की मिट्टी ने एक बार संकल्प ले लिया, तो भाजपा का साजिशी जाल यहाँ नहीं चलेगा।”
राजनीतिक संकल्प और प्रस्ताव
सम्मेलन के अंत में सर्वसम्मति से एक राजनीतिक संकल्प पारित किया गया जिसमें निम्नलिखित बिंदु प्रमुख रहे:
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केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों और सांप्रदायिकता के खिलाफ प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जाएगा।
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पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर जनजागरण और संगठन विस्तार की रणनीति बनाई जाएगी।
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विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को हराने के लिए वामपंथी, दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक एकता को मजबूत किया जाएगा।
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सभी जनसंगठनों के साथ समन्वय कर फासीवाद के विरुद्ध साझा आंदोलन चलाया जाएगा।
नव निर्वाचित लोकल कमेटी
इस अवसर पर लोकल कमेटी के लिए 11 सदस्यीय नई टीम का गठन किया गया। सर्वसम्मति से धनराज पासवान को नव-निर्वाचित सचिव चुना गया। कमेटी में युवाओं, महिलाओं और मेहनतकश तबकों के प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दी गई है।
संचालन और आयोजन की जिम्मेदारी
सम्मेलन का संचालन भाकपा माले प्रखंड कमेटी सदस्य रामावतार दास ने किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन न केवल संगठन की मजबूती का प्रतीक है, बल्कि बिहार में होने वाले आगामी राजनीतिक बदलाव का भी संकेत है। उन्होंने साथ ही यह विश्वास जताया कि “बिहार फिर एक बार देश को नई दिशा देगा।”
भाकपा माले कार्यालय सचिव सुरेश सिंह ने सम्मेलन के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि –
“इस सम्मेलन में गोपालपुर क्षेत्र की जनता ने जो उत्साह दिखाया है, वह इस बात का प्रमाण है कि बदलाव की लहर तेज हो चुकी है। गरीबों, दलितों, पिछड़ों और युवाओं की आवाज़ अब दबेगी नहीं। हम हर पंचायत, हर गांव में भाजपा की साजिशों के खिलाफ जनचेतना का दीप जलाएंगे।”
भाकपा माले का गोपालपुर (संपतचक) में आयोजित यह छठवां लोकल सम्मेलन न केवल सांगठनिक मजबूती का द्योतक था, बल्कि यह जनसंघर्ष और जनआंदोलन की दिशा में एक ठोस कदम भी सिद्ध हुआ। जिस संकल्प और स्पष्टता के साथ कार्यकर्ताओं ने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा का बीड़ा उठाया, वह आने वाले चुनाव में एक निर्णायक भूमिका निभाने वाला है।
बिहार में अब जनता जाग चुकी है और जिस “बदलाव” की बात वर्षों से हो रही थी, वह अब क्रांति का रूप ले चुकी है। गोपालपुर से निकली यह हुंकार पूरे बिहार और देश में बदलाव का संदेश बनकर गूंजेगी।