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एनएच-139 पर यातायात का बोझ, दुर्घटनाओं का खतरा: पटना-औरंगाबाद-हरिहरगंज मार्ग को फोर लेन बनाने की मांग तेज

एनएच-139 पर यातायात का बोझ, दुर्घटनाओं का खतरा: पटना-औरंगाबाद-हरिहरगंज मार्ग को फोर लेन बनाने की मांग तेज

|| News Era || Chitranjan Kumar ||

झारखंड के पलामू जिले से प्रारंभ होकर बिहार के औरंगाबाद, ओबरा, दाउदनगर, अरवल होते हुए राजधानी पटना तक पहुंचने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 139 (एनएच-139) इस समय बिहार-झारखंड के लिए जीवनरेखा जैसा बन चुका है। यह मार्ग न केवल दो राज्यों को आपस में जोड़ता है बल्कि खनिज, औद्योगिक एवं वाणिज्यिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। लेकिन, इस राजमार्ग की वर्तमान स्थिति लगातार खतरे की घंटी बजा रही है।

एनएच-139: खनिज और वाणिज्यिक यातायात की धुरी

इस मार्ग पर हर दिन हजारों की संख्या में भारी वाणिज्यिक वाहन गुजरते हैं, जिनमें मुख्यतः झारखंड से आने वाले स्टोन चिप्स (गिट्टी) और सोन नदी से निकाली गई बालू शामिल होती है। इस वजह से खासकर ओबरा, दाउदनगर और अरवल जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र, जिनसे यह राजमार्ग होकर गुजरता है, भारी ट्रैफिक का दबाव झेल रहे हैं।

एनएच-139 की कुल चौड़ाई वर्तमान में लगभग 7 मीटर है, जो मौजूदा ट्रैफिक दबाव के लिहाज से नाकाफी है। इस मार्ग पर न सिर्फ भारी जाम की स्थिति बनी रहती है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है।


अंतिम चरण में है फोर लेनिंग का काम, लेकिन अधूरा

फिलहाल एनएच-139 के झारखंड के पलामू जिले से लेकर औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा प्रखंड के पोला तक फोर लेनिंग का कार्य अंतिम चरण में है। परंतु, इसके आगे का भाग – जो औरंगाबाद, दाउदनगर, अरवल होते हुए पटना तक जाता है – अभी भी दो लेन ही है।

जबकि यही खंड सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्र से होकर गुजरता है और जहां ट्रैफिक की भीड़ सबसे अधिक होती है।


ट्रैफिक सर्वे में उभरा हकीकत का आईना

औरंगाबाद स्थित राष्ट्रीय उच्चपथ प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता द्वारा तैयार किए जा रहे डीपीआर (Detailed Project Report) के अनुसार, वर्ष 2024 के ट्रैफिक सर्वे में इस पथ पर प्रतिदिन 18,077 पीसीयू (Passenger Car Unit) का ट्रैफिक दर्ज किया गया है।

गौरतलब है कि भारत सरकार के 26 मई 2016 के परिपत्र के अनुसार, किसी भी मार्ग के चार लेन में उन्नयन के लिए 15,000 पीसीयू न्यूनतम सीमा निर्धारित की गई है। ऐसे में एनएच-139 पर यह सीमा बहुत पहले ही पार हो चुकी है।


दुर्घटनाओं के आंकड़े चौंकाने वाले

पिछले छह महीनों में इस राजमार्ग पर हुए हादसों के आंकड़े भयावह हैं।
केवल अरवल और औरंगाबाद जिलों में कुल 44 जानलेवा दुर्घटनाएं (Fatal Cases) और 27 गंभीर घायल (Grievous Casualties) मामलों की पुष्टि हुई है। यह आँकड़े स्पष्ट रूप से इस पथ की वर्तमान सुरक्षा स्थिति की गंभीरता को उजागर करते हैं।

ओवरटेकिंग की सुविधा की कमी, संकरी सड़क, मोड़ों पर दृश्यता की समस्या, और भारी वाहनों की अत्यधिक आवाजाही – ये सब कारण इस राजमार्ग को ‘घातक गलियारा’ बना रहे हैं।


केंद्र सरकार की सीमित स्वीकृति

फिलहाल भारत सरकार द्वारा डीपीआर में केवल कुछ हिस्सों के लिए ही फोर लेनिंग की मंजूरी दी गई है, जिनमें शामिल हैं:

  • नौबतपुर बाजार का चौड़ीकरण

  • अरवल बाईपास

  • दाउदनगर बाईपास

  • औरंगाबाद बाईपास

लेकिन, इससे केवल सीमित लाभ मिलने वाला है। मुख्य पथ अब भी भीड़ और खतरों से जूझता रहेगा।


जिला प्रशासन की पहल

औरंगाबाद के जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने इस पूरे मसले को गंभीरता से लेते हुए बिहार सरकार के पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र प्रेषित किया है। पत्र में उन्होंने संपूर्ण एनएच-139 पथ को फोर लेन में उन्नत करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की अपील की है।

उनका मानना है कि जब तक पूरे मार्ग को 4 लेन नहीं किया जाता, तब तक न तो यातायात में सुविधा होगी और न ही दुर्घटनाएं कम होंगी।


क्यों जरूरी है पूरा फोर लेन

एनएच-139 एकमात्र ऐसा मार्ग है जो झारखंड और दक्षिण बिहार को सीधे राजधानी पटना से जोड़ता है। यह औद्योगिक और खनिज परिवहन की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। अगर यह मार्ग फोर लेन बनता है, तो:

  • दुर्घटनाओं में कमी आएगी

  • यातायात की सुविधा बढ़ेगी

  • व्यापारिक गतिविधियां और तेज होंगी

  • स्थानीय विकास को गति मिलेगी

  • और लोगों की जान बचेगी


क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका

ओबरा, दाउदनगर, अरवल और औरंगाबाद के विधायक एवं सांसदों से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे इस मांग को संसद और विधानसभा में उठाएं। क्योंकि यह न केवल स्थानीय मुद्दा है, बल्कि यह सड़क आम जनता की सुरक्षा, समय और संसाधनों से जुड़ा हुआ मामला बन चुका है।


समय की मांग है संपूर्ण अपग्रेडेशन

एनएच-139 पर बढ़ते ट्रैफिक और दुर्घटनाओं के आंकड़ों को देखते हुए यह अब विकास और सुरक्षा दोनों का प्रश्न बन चुका है। यह मार्ग केवल सड़कों की बात नहीं करता, यह जीवन की गति और सुरक्षा की बात करता है।

इसलिए, सरकार और संबंधित विभागों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे ट्रैफिक डाटा और दुर्घटना रिपोर्ट्स के आलोक में जल्द से जल्द संपूर्ण एनएच-139 खंड को 4 लेन में अपग्रेड करने का निर्णय लें और इसे एक सुरक्षित, आधुनिक और सुविधाजनक राजमार्ग के रूप में विकसित करें।

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