
जगदीशपुर हत्याकांड के विरोध में इंडियन इंकलाब यंग मूवमेंट, मुंगेर में कैंडिल मार्च: बिहार में न्याय की चिंगारी
|| Report By: News Era || Date: 14 Jun 2025 ||
“न्याय नहीं, तो चैन नहीं” — इस नारे के साथ सैकड़ों लोग एकत्रित हुए मुंगेर की सड़कों पर। हाथों में मोमबत्तियाँ, आँखों में आक्रोश, और दिल में न्याय की उम्मीद लिए, वे उठ खड़े हुए एक ऐसे युवक के लिए, जिसकी हत्या बिहार की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल बन चुकी है — नाम है सोनू तांती।
मुंगेर जिले के नवादा थाना क्षेत्र अंतर्गत जगदीशपुर गांव में 6 जून को सोनू तांती की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। घटना के एक सप्ताह बाद भी पुलिस की निष्क्रियता और आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से जनता के भीतर आक्रोश बढ़ता गया, और आखिरकार यह गुस्सा सड़क पर उतर आया।
🔥 इंडियन इंकलाब यंग मूवमेंट का कैंडिल मार्च: शांति में लिपटा रोष
14 जून की शाम को इंडियन इंकलाब यंग मूवमेंट के नेतृत्व में शांतिपूर्ण कैंडिल मार्च निकाला गया। यह मार्च मुंगेर के प्रमुख चौक-चौराहों से होकर अनुमंडल कार्यालय तक पहुंचा।
युवाओं के हाथों में मोमबत्तियाँ थीं, और नारे थे —
“सोनू तांती को न्याय दो”, “गिरफ्तारी कब तक टलेगी?”, “बिहार में कानून व्यवस्था ध्वस्त है”।
यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण जरूर था, लेकिन हर कदम पर प्रशासन के प्रति नाराजगी का संदेश देता हुआ प्रतीत हो रहा था।
🕯️ हत्या, चुप्पी और निष्क्रियता: प्रशासन के खिलाफ उठी आवाज
सोनू तांती की हत्या ने न केवल एक परिवार को उजाड़ा, बल्कि पूरे गांव और जिले को झकझोर दिया।
आरोप है कि हत्या में शामिल लोग प्रभावशाली हैं, और पुलिस उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है।
एक सप्ताह बीतने के बाद भी न तो गिरफ्तारी हुई, न कोई ठोस कार्रवाई, जिससे गांववालों का गुस्सा भड़क उठा।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर यह किसी रसूखदार व्यक्ति के बेटे की हत्या होती, तो शायद अब तक आरोपियों को सलाखों के पीछे डाला जा चुका होता।
📣 सरकार और पुलिस पर खुला हमला: “यह सिर्फ हत्या नहीं, न्याय का अपमान है”
कैंडिल मार्च के दौरान IIP के बिहार प्रदेश कोर कमेटी सदस्य संजीव कुमार तांती ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा:
“हमने सरकार से न्याय की उम्मीद की थी, लेकिन अब प्रशासनिक चुप्पी ने हमारी आशाओं को तोड़ दिया है। अगर न्याय नहीं मिला, तो यह आंदोलन सिर्फ मुंगेर में नहीं रुकेगा, बल्कि पूरे बिहार में ज्वालामुखी बनकर फटेगा।”
कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन, नवादा थाना और बिहार सरकार के खिलाफ तीखी नारेबाजी की और चेतावनी दी कि यदि अगले कुछ दिनों में गिरफ्तारियां नहीं होती हैं, तो आंदोलन उग्र रूप लेगा।
💬 भावुक हुईं जमालपुर विधानसभा प्रताय्शी श्वेता कुमारी, कहा – “जान की कोई कीमत नहीं?”
इस कैंडिल मार्च में जमालपुर विधानसभा की प्रत्याशी और सामाजिक कार्यकर्ता श्वेता कुमारी भी शामिल रहीं। उन्होंने बेहद भावुक होते हुए कहा:
“सोनू तांती गरीब था, इसीलिए उसकी हत्या को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। हम पूछना चाहते हैं — क्या जान की कोई कीमत नहीं? अगर सरकार ने जल्दी कार्रवाई नहीं की, तो हम हर जिले में जनआंदोलन करेंगे।”
उनकी आवाज़ में गुस्सा भी था और हताशा भी, लेकिन सबसे ज्यादा था — संघर्ष का जज़्बा।
📋 कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांगें:
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नामजद आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी।
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मामले की सुनवाई फास्ट-ट्रैक कोर्ट में हो।
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परिवार को 25 लाख मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिले।
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दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर बिहार सरकार स्पष्ट नीति बनाए।
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थाना प्रभारी की भूमिका की जांच और आवश्यक कार्रवाई।
🧑⚖️ क्या यह बिहार की कानून व्यवस्था की विफलता है?
बिहार में दलित समुदाय को लेकर सुरक्षा और न्याय एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है।
बीते वर्षों में दलित समुदाय पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं, और सामाजिक संगठनों का दावा है कि पुलिस-प्रशासन या तो लापरवाह है या राजनीतिक दबाव में निष्क्रिय।
सोनू तांती का मामला भी इसी सामाजिक अन्याय का उदाहरण बनता जा रहा है, जहाँ हत्या के बाद भी आरोपियों को बचाने की कोशिश होती दिख रही है।
🗣️ आंदोलन को मिला जनसमर्थन: लोग बोले – अब बहुत हो गया
कैंडिल मार्च में सैकड़ों लोग शामिल हुए, जिनमें युवा, बुजुर्ग, महिलाएं, छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे।
उनका कहना था:
“अगर हम आज नहीं बोले, तो कल हमारे बच्चों के साथ भी यही होगा। अब चुप नहीं बैठेंगे। इंसाफ लेकर रहेंगे।”
यह आंदोलन अब व्यक्तिगत शोक से उठकर सामाजिक न्याय की आवाज बनता जा रहा है।
📷 मार्च में शामिल प्रमुख चेहरे:
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संजीव कुमार तांती – प्रदेश कोर कमेटी सदस्य
- विवेक कुमार , आनंद कुमार , ॐ प्रकश ताती- इंडियन इन्कलाब यंग मूवमेंट मुंगेर जिला के उपाध्य्च
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श्वेता कुमारी – जमालपुर विधानसभा प्रत्याशी
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पंकज कुमार, अंशू कुमार, सौरभ कुमार – संगठन कार्यकर्ता
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संजय तांती, दुखन तांती, मनोज तांती, सुधांशु तांती – स्थानीय निवासी
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सुबोध कुमार प्रसाद – सामाजिक कार्यकर्ता
इन सभी ने एक सुर में कहा:
“जब तक सोनू को इंसाफ नहीं मिलेगा, हम चुप नहीं बैठेंगे।”
📌 क्या सरकार जागेगी?
अब बड़ा सवाल यही है — क्या सरकार इस जनआक्रोश को सुनेगी?
क्या पुलिस निष्क्रियता के खिलाफ कार्रवाई होगी?
क्या सोनू तांती को इंसाफ मिलेगा?
जनता की नजरें सरकार पर टिकी हैं।
यदि यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबा दिया गया, तो यह बिहार की न्याय प्रणाली के लिए एक और काला अध्याय होगा।
यह एक हत्या नहीं, एक चेतावनी है
सोनू तांती की हत्या, और उसके बाद की सरकारी चुप्पी ने जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया है —
“क्या बिहार में न्याय सिर्फ ताकतवरों के लिए है?”
इंकलाब यंग मूवमेंट और आम लोगों का यह आंदोलन बताता है कि अब जनता चुप नहीं रहेगी।
यह लड़ाई केवल सोनू के लिए नहीं, हर उस व्यक्ति के लिए है जिसे इस सिस्टम ने नजरअंदाज किया है।