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कुदरा नगर पंचायत क्षेत्र में मीट-मछली की अवैध दुकानें बनीं बीमारियों का अड्डा, हादसों को दे रहीं न्योता, जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह

कुदरा नगर पंचायत क्षेत्र में मीट-मछली की अवैध दुकानें बनीं बीमारियों का अड्डा, हादसों को दे रहीं न्योता, जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह

Report By: Rupesh Kumar Dubey

कैमूर: जिले के कुदरा नगर पंचायत अंतर्गत कुदरा-भभुआं रोड पर स्थित पंजाब नेशनल बैंक के समीप सड़क किनारे खुले में लग रही मीट और मछली की अवैध दुकानों ने न सिर्फ आम लोगों का जीना मुहाल कर रखा है, बल्कि ये दुकानें अब गंभीर बीमारियों और संभावित सड़क हादसों का कारण भी बनती जा रही हैं। नगर वासियों का कहना है कि प्रशासन से कई बार शिकायत करने के बावजूद इन दुकानों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। इस लापरवाही से नाराज़ भाजपा प्रखंड उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह समेत दर्जनों स्थानीय नागरिकों ने खुलकर विरोध जताया है।

स्थानीय दुकानदारों के मुताबिक, पहले ये सभी अवैध दुकानें राष्ट्रीय राजमार्ग की सर्विस लेन में लगाई जाती थीं, लेकिन जब अधिकारियों द्वारा वहाँ से इन्हें हटाया गया, तो इन दुकानदारों ने नगर पंचायत के कचरा डंप स्थल के पास ही अपनी दुकानें जमा लीं। यह इलाका पहले ही कचरे की दुर्गंध और गंदगी से परेशान था, ऊपर से अब खुले में मांस-मछली की बिक्री ने हालात और बिगाड़ दिए हैं।

स्थानीय व्यवसायियों और नागरिकों की मानें तो जब तेज हवा चलती है, तो मीट और मछली के अवशेषों की दुर्गंध पूरे इलाके में फैल जाती है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि बैंक और अन्य दुकानों में बैठना मुश्किल हो गया है। आसपास के रिहायशी इलाकों और विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि मीट और मछली के अवशेष सड़क किनारे ही फेंक दिए जाते हैं, जिससे संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बना रहता है।

खुले में मीट-मछली की बिक्री: नियमों की अनदेखी

सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार खुले में मीट और मछली का कारोबार करना न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि यह स्वच्छता और जनस्वास्थ्य के लिए भी बेहद खतरनाक है। खुले में मांस-मछली बेचने से यह मक्खियों, धूल, मिट्टी और गंदगी के संपर्क में आकर दूषित हो जाती है, जिससे फूड पॉइजनिंग जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, आसपास के इलाके में दुर्गंध और संक्रमण फैलने की आशंका हमेशा बनी रहती है।

नगर निगम और अन्य संबंधित विभागों के नियमों के अनुसार किसी भी मांस-मछली की दुकान को बंद वातानुकूलित या उपयुक्त ढंके स्थान पर चलाना अनिवार्य है। दुकान में सफाई का पूरा ध्यान रखना होता है और कचरे के निपटान के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए। खुले में मांस बेचने पर कई स्थानों पर जुर्माने का भी प्रावधान है।

दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ी

स्थानीय लोगों के अनुसार शाम के वक्त इन दुकानों के चलते सड़क पर भारी भीड़ और अव्यवस्था फैल जाती है। इससे यातायात बाधित होता है और दुर्घटना की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। सड़क के किनारे खड़े वाहनों के बीच से गुजरना बच्चों, महिलाओं और वृद्धजनों के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। कई बार दोपहिया वाहन सवार इन दुकानों से फिसलते देखे गए हैं। आसपास के दुकानदारों का कहना है कि यदि शीघ्र इन दुकानों को हटाया नहीं गया, तो किसी बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।

जिम्मेदार अधिकारी बेपरवाह, कार्रवाई के नाम पर खानापूरी

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर कई बार संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया गया है। बार-बार शिकायतें दी गईं, लेकिन अभी तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई। सूत्रों का कहना है कि इन अवैध दुकानों से मोटी अवैध कमाई होती है, जो सीधे-सीधे अधिकारियों की जेब में जा रही है। यही कारण है कि इतनी स्पष्ट शिकायतों के बावजूद इन दुकानों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।

क्या कहता है नियम?

मीट-मछली की दुकानें खोलने के लिए स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित है। इसके लिए नगर निकाय से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। दुकान के लिए साफ-सुथरी जगह होनी चाहिए और पर्याप्त हाइजीनिक मानकों का पालन करना होता है। मांस को काटने और रखने के लिए स्वच्छ उपकरणों और प्रशीतन व्यवस्था का प्रबंध होना चाहिए।

खुले में मीट काटना और बेचना साफतौर पर नियमों का उल्लंघन है। इससे आसपास के वातावरण में संक्रमण फैलने की संभावना रहती है। बच्चों, बुजुर्गों और अस्वस्थ व्यक्तियों पर इसका सीधा असर देखने को मिलता है।

विशेषज्ञों की राय

जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि खुले में मांस और मछली की बिक्री कई घातक रोगों को जन्म दे सकती है। इनमें टाइफाइड, कॉलरा, फूड पॉइजनिंग, डायरिया जैसी बीमारियां प्रमुख हैं। इसके अलावा खुले में मांस के संपर्क में आने वाली मक्खियां अन्य कई संक्रामक रोगों को फैलाने में सहायक बनती हैं।

एक निजी क्लिनिक के डॉक्टर ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में पेट संबंधी संक्रमण के मामले बढ़े हैं, और इसके पीछे इस प्रकार के खुले में बिकने वाले दूषित खाद्य पदार्थों का बड़ा हाथ है।

भाजपा नेताओं ने उठाई आवाज़

भाजपा प्रखंड उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने इस मुद्दे पर खुलकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “यह न केवल स्वच्छता और स्वास्थ्य का मसला है, बल्कि सड़क पर चलने वाले आम नागरिकों की जान से भी खिलवाड़ है। प्रशासन की लापरवाही और मिलीभगत के कारण आज पूरा इलाका इन अवैध दुकानों के कारण नारकीय स्थिति में पहुंच चुका है। हम जल्द ही उच्चाधिकारियों से मिलकर इस पर कार्रवाई की मांग करेंगे।”

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों को चाहिए कि वे तुरंत इस मुद्दे पर संज्ञान लें और अवैध दुकानों को हटाने की ठोस कार्रवाई करें। यदि प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो नागरिक आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं।

जिला पदाधिकारी को चाहिए सख्त कदम

नगर पंचायत कुदरा के निवासी मांग कर रहे हैं कि जिला पदाधिकारी स्वयं इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाएं और न केवल इन अवैध दुकानों को हटवाएं, बल्कि इसके पीछे जो भी प्रशासनिक लापरवाही या भ्रष्टाचार है, उस पर भी कड़ी कार्रवाई करें।

यदि समय रहते इन अवैध दुकानों को नहीं हटाया गया तो आने वाले समय में संक्रामक रोगों के फैलने और किसी बड़ी सड़क दुर्घटना की जिम्मेदारी प्रशासन को ही लेनी पड़ेगी।कुदरा के इस इलाके में अवैध मीट-मछली दुकानों का यह मसला अब केवल स्थानीय स्तर का नहीं रह गया है, यह जन-स्वास्थ्य, ट्रैफिक और प्रशासनिक निष्क्रियता का बड़ा उदाहरण बन गया है। स्थानीय नागरिकों की उम्मीदें अब जिला प्रशासन से हैं कि वे इस समस्या का समाधान कर स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करें।

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