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कैमूर: भभुआ सदर अस्पताल में पीने के पानी की भारी किल्लत

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कैमूर: भभुआ सदर अस्पताल में पीने के पानी की भारी किल्लत, मरीजों को मजबूरी में पीना पड़ रहा गंदा पानी
स्वास्थ्य सेवा की जमीनी हकीकत उजागर करती रिपोर्ट

सारांश :

कैमूर के भभुआ सदर अस्पताल में मरीजों को साफ पीने का पानी नहीं मिल रहा है। टंकियों में काई, कचरा और दुर्गंध है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। मरीज मजबूरी में घर से पानी ला रहे हैं। अस्पताल प्रशासन का दावा है कि ढक्कन आंधी में उड़ गया, सफाई जल्द कराई जाएगी।

हाइलाइट न्यूज:

  1. अस्पताल में लगे वाटर टैंकों में ढक्कन नहीं, पानी में काई और गंदगी।

  2. मरीज और परिजन घर से पानी लाने को मजबूर।

  3. इसी गंदे पानी से रसोई में भी बन रहा है मरीजों का खाना।

  4. अस्पताल प्रशासन ने आंधी में ढक्कन उड़ने की दी सफाई।

  5. बार-बार निरीक्षण के बावजूद नहीं सुधरी हालात, संक्रमण का खतरा बढ़ा।

Report By : Rupesh Kumar Dubey || Date : 26 June 2025 ||

कैमूर, बिहार: एक ओर सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लाख दावे करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत इन दावों को पूरी तरह खोखला साबित कर रही है। कैमूर जिले के भभुआ सदर अस्पताल की हालत कुछ ऐसी ही है, जहां मरीजों और उनके परिजनों को साफ पानी तक मयस्सर नहीं है। आलम यह है कि लोग इलाज से ज्यादा गंदे पानी से होने वाली बीमारियों को लेकर चिंतित हैं।

गंदे पानी से बीमार होने का खतरा

भभुआ सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की चार मंजिला इमारत में 12 से ज्यादा वाटर टैंक (सिंटेक्स) लगाए गए हैं, लेकिन उनकी हालत दयनीय है। किसी भी टंकी पर ढक्कन नहीं लगा है, जिससे उसमें धूल-मिट्टी, काई, कौवों और कबूतरों के पंख तक पाए जाते हैं। यही पानी अस्पताल के सभी वार्डों में सप्लाई किया जाता है, जिसे मरीज पीते हैं, नहाते हैं, बर्तन धोते हैं और यही पानी अस्पताल की कैंटीन में खाना बनाने के लिए भी इस्तेमाल होता है।

परिजनों का दर्द: “पानी पीने की हिम्मत नहीं होती”

अपने बेटे के आंख के इलाज के लिए आए तिवई गांव निवासी करीमन राम बताते हैं,

“सदर अस्पताल में जो पानी आता है, उसमें काई और बदबू है। डर लगता है कि ये पानी कहीं और बीमार न कर दे, इसलिए हम तो घर से ही पानी लाते हैं।”

दामोदरपुर के रहने वाले जितेंद्र पासवान, जो अपनी पत्नी की डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती हैं, बताते हैं,

“तीन दिन से यहीं हूं, लेकिन पानी की हालत देख कर घबराया हुआ हूं। मजबूरी में यही गंदा पानी पीना पड़ता है, क्योंकि विकल्प कुछ नहीं है। अगर ऐसा पानी कुछ दिन और पीना पड़ा, तो स्वस्थ आदमी भी बीमार हो जाए।”

प्रशासन की लापरवाही: “ढक्कन आंधी में उड़ गया…”

जब इस गंभीर मुद्दे पर अस्पताल प्रबंधन से बात की गई, तो जवाब बेहद गैर-जिम्मेदाराना मिला। अस्पताल के प्रबंधक ने बताया,

“हर तीन महीने में टंकी की सफाई होती है, लेकिन आंधी में सिंटेक्स के ढक्कन उड़ गए थे। इसी कारण पानी में धूल और काई जमा हो गया है। अब दो दिन में सफाई करा दी जाएगी।”

हालांकि, स्थानीय लोगों और मरीजों का कहना है कि यह सिर्फ बहाना है। सफाई की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। टंकियों की हालत महीने से बदतर हो चुकी है। यहां तक कि आरओ सिस्टम भी काम नहीं कर रहा, जिससे पीने लायक पानी मिल सके।

अधिकारियों की अनदेखी

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस अस्पताल का निरीक्षण करने के लिए समय-समय पर पटना से टीमें आती हैं। जिला स्तर के वरिष्ठ अधिकारी भी यहां का दौरा करते हैं, लेकिन इसके बावजूद पानी जैसी बुनियादी व्यवस्था आज तक दुरुस्त नहीं की गई है। इसका सीधा असर अस्पताल की छवि और मरीजों की सेहत पर पड़ रहा है।

जीविका रसोई भी इसी गंदे पानी पर निर्भर

अस्पताल में जीविका द्वारा संचालित रसोई में भी इन्हीं गंदे टंकियों से पानी लिया जाता है, जिससे मरीजों का खाना तैयार होता है। यह चिंता का विषय है क्योंकि गंदे पानी से बने भोजन से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

जिम्मेदार कौन?

इस सवाल का जवाब देने वाला कोई नहीं है। ना तो अस्पताल प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेता है और ना ही स्थानीय स्वास्थ्य विभाग कोई ठोस कदम उठाता है। अगर यही हाल रहा, तो भभुआ सदर अस्पताल मरीजों को इलाज देने की बजाय बीमारियों की जड़ बन जाएगा।

भभुआ सदर अस्पताल में साफ पीने के पानी की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। खुले टंकी, गंदा पानी, दुर्गंध और ढक्कन विहीन सिस्टम बीमार लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। अब जरूरत है कि स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मिलकर तुरंत इस दिशा में ठोस कदम उठाए और पीने के पानी की शुद्धता सुनिश्चित करे। वरना अस्पताल इलाज का नहीं, संक्रमण का केंद्र बन जाएगा।


#जरूरी_है_सवाल_उठाना

  • क्या बीमार अस्पताल में और बीमार होने के लिए आते हैं?

  • क्या साफ पानी जैसी बुनियादी सुविधा भी सरकार मुहैया नहीं करा सकती?

  • आखिर कब सुधरेंगे बिहार के सरकारी अस्पताल?

📍 रिपोर्ट: न्यूज इरा ब्यूरो, कैमूर (भभुआ)
📆 दिनांक: 26 जून 2025

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