बिहार शिक्षा विभाग के ACS डॉ. एस. सिद्धार्थ का इस्तीफा, जदयू से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के तहत पद छोड़ने वाले सिद्धार्थ नवादा से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं, मुख्यमंत्री के पास इस्तीफा विचाराधीन। प्रशासनिक से राजनीतिक सफर की तैयारी!

बिहार के ACS डॉ. एस. सिद्धार्थ ने दिया इस्तीफा, नवादा से JDU टिकट पर चुनाव लड़ने की अटकलें तेज!
संक्षिप्त :
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने VRS लेते हुए इस्तीफा दे दिया है। वे नवादा से जदयू के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। इस्तीफे की मंजूरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास लंबित है। उनके कार्यकाल में शिक्षा विभाग में कई अहम सुधार किए गए थे।
हाइलाइट न्यूज़ :
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बिहार के शिक्षा विभाग के ACS डॉ. एस. सिद्धार्थ ने VRS के तहत इस्तीफा दिया।
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इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास विचाराधीन है।
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वे जदयू से नवादा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
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शिक्षा विभाग में कई सुधारों और विवादों के लिए रहे चर्चा में।
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सोशल मीडिया पर #एससिद्धार्थ ट्रेंड कर रहा है, सियासी हलचल तेज।
Report By : Bipin Kumar (News Era) || Date : 22 July 2025 ||
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) और 1991 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. एस. सिद्धार्थ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सरकार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन सौंपा है, जिससे न सिर्फ प्रशासनिक गलियारे में हलचल है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे सिद्धार्थ
सूत्रों के मुताबिक, डॉ. एस. सिद्धार्थ ने 17 जुलाई 2025 को VRS का आवेदन सरकार को सौंपा था, जिसे अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास विचाराधीन बताया जा रहा है। अगर यह मंजूर नहीं होता, तो सिद्धार्थ को 30 नवंबर 2025 तक रिटायरमेंट का इंतजार करना पड़ेगा या फिर CAT (Central Administrative Tribunal) का रुख करना होगा।
राजनीति में एंट्री की अटकलें – नवादा से हो सकते हैं JDU के प्रत्याशी
उनके इस्तीफे के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है – क्या डॉ. एस. सिद्धार्थ अब राजनीति में उतरेंगे?
बताया जा रहा है कि वे JDU के टिकट पर नवादा जिले से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। हाल ही में नवादा के दौरे के दौरान उन्होंने एक सरकारी स्कूल का निरीक्षण किया था और लिट्टी बनाते हुए स्थानीय लोगों से घुलते-मिलते भी नजर आए थे। इससे उनके “जन संपर्क स्टाइल” की खूब चर्चा हो रही है।
डॉ. एस. सिद्धार्थ – एक आईएएस से ज़मीनी नेता बनने की ओर?
काम का अंदाज रहा सबसे अलग
डॉ. एस. सिद्धार्थ का कार्यशैली हमेशा अलग रही। वे अचानक स्कूलों का निरीक्षण करते, बच्चों की कॉपियां चेक करते और ज़मीन से जुड़ा फीडबैक लेते। ट्रेन में यात्रा के दौरान आम लोगों से संवाद, चाय की दुकानों पर बैठकर बातचीत और खुद लिट्टी सेंकना – यही उनकी खासियत रही।
शिक्षा विभाग में किए कई बड़े फैसले
एसीएस बनने के बाद उन्होंने केके पाठक द्वारा लिए गए कई विवादास्पद फैसलों को बदला। इनमें प्रमुख फैसले थे:
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छात्रों के नाम काटने की नीति में बदलाव,
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स्कूलों की निगरानी की जिम्मेदारी DDC को सौंपना,
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स्कूल टाइमिंग तय करने का अधिकार जिला शिक्षा पदाधिकारी को देना,
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निरीक्षण रिपोर्ट का क्रॉस-वेरिफिकेशन अनिवार्य करना,
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विश्वविद्यालयों के फ्रीज खातों से रोक हटाना।
मॉडल स्कूल, शिक्षक प्रशिक्षण, ऑनलाइन शिकायत निवारण जैसे कई सुधार किए
उनके कार्यकाल में शिक्षा व्यवस्था में मॉडल स्कूलों की स्थापना, शिक्षक प्रशिक्षण, और ऑनलाइन शिकायत निवारण तंत्र जैसी पहलें भी लागू की गईं। हालांकि, शिक्षकों के तबादले और सख्त नीतियों को लेकर कुछ विवाद भी उनके खाते में आए।
ट्रेंड पायलट और फोटोग्राफर – एक बहुआयामी व्यक्तित्व
डॉ. सिद्धार्थ सिर्फ प्रशासक नहीं बल्कि एक प्रशिक्षित पायलट और फोटोग्राफी के शौकीन भी हैं। उन्होंने 5 अक्टूबर 2023 को पहली बार अकेले विमान उड़ाया था। यह उनके बचपन का सपना था, जिसे उन्होंने अपने व्यस्त प्रशासनिक जीवन के बावजूद पूरा किया।
बिहार में VRS की बढ़ती लहर
गौरतलब है कि बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही VRS लेने वाले अफसरों की संख्या बढ़ती जा रही है। बीते 30 दिनों में डॉ. एस सिद्धार्थ दूसरे IAS अधिकारी हैं जिन्होंने VRS लिया है। इससे पहले दिनेश कुमार राय ने 13 जून को इस्तीफा दिया था, जिसे 15 जुलाई से स्वीकार कर लिया गया।
क्या ओबीसी और दलित वोट बैंक साधने की तैयारी?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नीतीश कुमार डॉ. सिद्धार्थ को JDU का चेहरा बनाकर ओबीसी और दलित वर्ग को साधने की रणनीति बना सकते हैं। वे लंबे समय तक मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रहे हैं और पार्टी की रणनीति व प्रशासनिक सोच से भलीभांति परिचित हैं।
अब कौन लेगा एस. सिद्धार्थ की जगह?
सिद्धार्थ के इस्तीफे के बाद सबसे बड़ा प्रशासनिक सवाल यह है कि शिक्षा विभाग में उनकी जगह कौन लेगा? संभावित उत्तराधिकारियों के नामों पर चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे #एससिद्धार्थ
इधर सोशल मीडिया पर #एससिद्धार्थ ट्रेंड कर रहा है। यूजर्स उनके इस्तीफे को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं—कुछ उन्हें “जनता के लिए सही नेता” बता रहे हैं, तो कुछ इसे “नीतीश कुमार की बड़ी रणनीति” मान रहे हैं।
डॉ. एस. सिद्धार्थ का यह इस्तीफा सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि इसके दूरगामी राजनीतिक संकेत भी हैं। नवादा या गया की किसी आरक्षित सीट से उनकी चुनावी एंट्री JDU के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार उनका इस्तीफा मंजूर करती है और क्या वे जनता के ‘सेवा भाव’ को अब जनप्रतिनिधि के रूप में आगे बढ़ाएंगे?