बिहार सरकार का बड़ा ऐलान: आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि में तीन गुना बढ़ोतरी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा — ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने और जमीनी स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के योगदान को सम्मान देने के लिए लिया गया निर्णय

बिहार सरकार का बड़ा फैसला: आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि में भारी बढ़ोतरी, अब ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं होंगी और मजबूत
संक्षिप्त न्यूज़ :
बिहार सरकार ने आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि में बढ़ोतरी की है। अब आशा कार्यकर्ताओं को ₹1,000 के बजाय ₹3,000 और ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव ₹300 के बजाय ₹600 मिलेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने की दिशा में बड़ा कदम बताया है।
हाईलाइट्स :
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आशा कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि ₹3,000 प्रति माह की गई।
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ममता कार्यकर्ताओं को अब प्रति प्रसव ₹600 मिलेंगे।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की घोषणा।
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ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण पर ज़ोर।
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लाखों स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मिलेगा सीधा लाभ।
Report By ; Bipin Kumar(News Era) || Date 30 July 2025 ||
बिहार सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रही आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद इसकी जानकारी देते हुए कहा कि अब आशा कार्यकर्ताओं को पहले की तुलना में तीन गुना अधिक प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। वहीं ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव मिलने वाली राशि को भी दोगुना कर दिया गया है। यह निर्णय राज्य सरकार के उस संकल्प को दर्शाता है जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने की दिशा में सतत प्रयास किए जा रहे हैं।
नई दरें क्या होंगी?
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आशा कार्यकर्ताओं को अब ₹1,000 के बजाय ₹3,000 प्रति माह की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
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ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव ₹300 के बजाय ₹600 की प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
इस निर्णय से राज्य भर की लाखों स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा। इससे न सिर्फ उनके कार्य के प्रति सम्मान बढ़ेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था भी और अधिक सुदृढ़ हो सकेगी।
मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने x पर बताया,
“नवंबर 2005 में जब हमारी सरकार बनी, तभी से हमने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार को प्राथमिकता दी। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के साथ-साथ मानव संसाधन को भी मजबूत किया गया। इसमें आशा और ममता कार्यकर्ताओं की भूमिका सबसे अहम रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इन कार्यकर्ताओं ने टीकाकरण, प्रसव पूर्व देखभाल, पोषण जागरूकता, संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने, आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ाव जैसे कार्यों में अहम योगदान दिया है। इसलिए सरकार ने उनके योगदान का सम्मान करते हुए यह मानदेय वृद्धि की है।
क्यों अहम है यह फैसला?
राज्य के स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नीति-विश्लेषकों के मुताबिक, यह फैसला न सिर्फ सामाजिक और आर्थिक रूप से सार्थक है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को भी व्यापक स्तर पर प्रभावित करेगा। आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका ग्रामीण भारत में एक ‘ब्रिज’ यानी सेतु की तरह होती है— जो समुदाय और सरकारी स्वास्थ्य तंत्र के बीच कड़ी के रूप में कार्य करती हैं।
ममता कार्यकर्ता भी गर्भवती महिलाओं को समय पर प्रसव कराने, संस्थागत डिलीवरी बढ़ाने और नवजात शिशुओं की देखभाल जैसे कार्यों में सरकार के लिए अहम भागीदार हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं में आशा और ममता की भूमिका
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टीकाकरण जागरूकता: गांव-गांव जाकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण अभियान में सक्रिय भूमिका।
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डोर-टू-डोर सेवा: हर घर तक स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी और जरूरतमंदों को सुविधा दिलाना।
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संस्थागत प्रसव: अस्पताल में प्रसव के लिए प्रेरित करना, जिससे मातृ-मृत्यु और शिशु मृत्यु दर में कमी आई है।
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महिला स्वास्थ्य: किशोरी और महिला स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर संवाद और समाधान।
स्वास्थ्य विभाग की तैयारी
बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने इस निर्णय के कार्यान्वयन को लेकर दिशा-निर्देश जारी करने शुरू कर दिए हैं। संबंधित सिविल सर्जन और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे संबंधित कार्यकर्ताओं को जानकारी देकर जल्द से जल्द नई दरों पर भुगतान सुनिश्चित करें।
फील्ड से प्रतिक्रियाएं
समस्तीपुर जिले की एक आशा कार्यकर्ता रीना देवी ने खुशी जताते हुए कहा:
“पहले हमें कम राशि मिलती थी, जिससे परिवार चलाना मुश्किल होता था। अब ₹3,000 मिलने से हम और मन से काम कर सकेंगे।”
वहीं एक ममता कार्यकर्ता शीला कुमारी ने कहा:
“यह बढ़ोतरी हमारे काम की अहमियत को स्वीकार करने जैसा है। इससे हर ममता दीदी को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।”
बिहार सरकार का यह फैसला न केवल लाखों आशा और ममता कार्यकर्ताओं को आर्थिक राहत देगा, बल्कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं और सशक्त होंगी। यह कदम राज्य के स्वास्थ्य मॉडल को और प्रभावशाली बनाएगा, जो अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।